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समयपूर्वता की रेटिनोपैथी

समयपूर्व जन्मे शिशुओं में समयपूर्वता की रेटिनोपैथी (ROP) का जोखिम होता है। यह एक ऐसी समस्या है जो दृष्टि को प्रभावित कर सकती है। ROP आँख के पिछले हिस्से (रेटिना) की परत पर असामान्य रक्त वाहिकाओं की वृद्धि होना है। गंभीर मामलों में, रक्त वाहिकाएँ आँख के पीछे से रेटिना को अलग कर सकती हैं।

ROP का क्या कारण है?

रेटिना पर रक्त वाहिकाएँ गर्भावस्था में देर तक भी बढ़ना समाप्त नहीं करती हैं। जब कोई बच्चा समयपूर्व जन्म लेता है, तो ये रक्त वाहिकाएँ अभी भी पूरी तरह से विकसित नहीं होती हैं। इसलिए बच्चे के जन्म के बाद रक्त वाहिकाएँ अपना विकास पूरा करती हैं। गर्भ के बाहर के पर्यावरण के कारक उनके असामान्य रूप से बढ़ने का कारण बन सकते हैं। एक समस्या रक्त में ऑक्सीजन के बदलते हुए स्तर हो सकती है। छोटी उम्र के या समयपूर्व जन्मे नवजात (प्रीमी) शिशुओं में ROP की संभावना अधिक होती है।

रेटिना पर सामान्य रक्त वाहिकाओं को दर्शाता हुआ आँख का क्रॉस सेक्शन तीन-चौथाई दृश्य।
सामान्य रक्त वाहिकाएँ रेटिना पर एक नाजुक जाल बनाती हैं।
रेटिनोपैथी ऑफ़ प्रीमैच्योरिटी को दर्शाता हुआ आँख का क्रॉस सेक्शन तीन-चौथाई दृश्य।
ROP के कारण, रक्त वाहिकाएँ बड़ी और विकृत हो सकती हैं। वे दागदार ऊतक का एक टीला बना सकती हैं, या रेटिना पर खिंच सकती हैं, जिससे यह अलग हो सकता है।

ROP का निदान और उसकी निगरानी कैसे की जाती है?

NICU (नीयोनैटल इंटेन्सिव केयर यूनिट) में सभी समयपूर्व जन्मे शिशिओं के रक्त में ऑक्सीजन के स्तर की बारीकी से निगरानी की जाती है। जो शिशु  30 सप्ताह और 6 दिन की गर्भावस्था या उससे कम समय पर पैदा होते हैं या जिनका वज़न  1.500 ग्राम या उससे कम (52.5 औंस या उससे कम) होता है उनकी जाँच नेत्र सेवा प्रदाता (ऑप्थैल्मोलॉजिस्ट) द्वारा की जाती है। आँखों की जाँच आँख के पिछले हिस्से को देखने के लिए एक विशेष कैमरे का उपयोग करके स्वास्थ्य सेवा टीम के किसी प्रशिक्षित सदस्य द्वारा भी की जा सकती है।

कुछ शिशु जिनका वज़न 1,500 से 2,000 ग्राम (52.5 से 70 औंस) के बीच होता है और उन्हें स्वास्थ्य संबंधी अन्य समस्याएँ होती हैं, उन्हें आँखों की जाँच कराने की आवश्यकता हो सकती है क्योंकि वे भी ROP के उच्च जोखिम पर होते हैं।

आँखों की जाँच के दौरान, आँख की पुतली को फैलाने (डायलेट करने) के लिए ड्रॉप्स का उपयोग किया जाता है। इससे प्रदाता रेटिना पर रक्त वाहिकाओं की जाँच करने के लिए पुतली के माध्यम से देख सकता है। यदि प्रदाता को असामान्य रक्त वाहिकाएँ दिखाई देती हैं, तो उनकी ROP को चरण 1 (हल्के) से लेकर चरण 5 (गंभीर) तक मूल्यांकित किया जाता है। रक्त वाहिकाओं का स्थान भी नोट किया जाता है।

पहला परीक्षण जन्म के लगभग 4 से 8 सप्ताह बाद किया जा सकता है। इस परीक्षण के परिणामों और शिशु की गर्भकालीन आयु पर निर्भर करते हुए, उसे हर 1 से 2 सप्ताह में फॉलो-अप परीक्षणों की आवश्यकता होगी।

ROP का उपचार कैसे किया जाता है?

हल्के ROP (चरण 1 और 2) के लिए प्रायः उपचार की आवश्यकता नहीं होती है। मध्यम से लेकर गंभीर ROP वाले शिशुओं को उपचार की आवश्यकता हो सकती है। उपचार आमतौर पर बीमारी की गंभीरता पर निर्भर करता है। उपचार के विकल्प हैं:

  • लेज़र सर्जरी (लेज़र थेरेपी या फोटोकोऐगुलेशन)। प्रदाता रेटिना के किनारों को जलाने और दागने के लिए प्रकाश की किरणों का उपयोग करता है। यह असामान्य रक्त वाहिकाओं को बढ़ने और रेटिना के खिंचने को रोकता है।

  • एंटी-VEGF-थेरेपी। प्रदाता आँख के पीछे रेटिना के समीप, आँख के अंदर (विट्रियस) एंटी-VEGF दवा इंजेक्ट करता है। यह असामान्य रक्त वाहिकाओं को बढ़ने और रेटिना के खिंचने को रोकता है। यह एक अधिक नई थेरेपी है जिसका ROP के उपचार के लिए व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। किंतु, दीर्घकालिक परिणाम अभी भी निर्धारित किए जा रहे हैं।

  • स्क्लेरल बकल। प्रदाता आँख के सफेद हिस्से (स्क्लेरा) के चारों ओर एक सिलिकॉन बैंड लगाता है। यह बैंड आँख को अंदर धकेलने में सहायता करता है ताकि रेटिना आँख की दीवार के साथ रुका रहे। बाद में आँख के बढ़ जाने पर बकल को हटा दिया जाता है। यदि इसे नहीं हटाया जाए, तो बच्चा निकट दृष्टिदोष वाला हो सकता है। इसका अर्थ है कि उसे उन चीजों को देखने में परेशानी होती है जो दूर होती हैं।

  • विट्रेक्टॉमी। प्रदाता आँख के केंद्र (विट्रियस) में स्पष्ट जेल को हटाता है और उसके स्थान पर सैलाइन (लवण) घोल डालता है। इसके बाद प्रदाता दाग के ऊतक को बाहर निकाल सकता है, ताकि रेटिना न खिंचे। केवल चरण 4 या 5 ROP वाले शिशुओं की ही यह सर्जरी की जाती है।

  • क्रायोथेरेपी (जमाना)। प्रदाता रेटिना की साइडों को जमाने और दागने के लिए एक धातु की प्रोब का उपयोग करता है। यह असामान्य रक्त वाहिकाओं के फैलाव और रेटिना के खिंचने को रोकता है। इस उपचार का अब शायद ही कभी उपयोग किया जाता है क्योंकि अन्य थेरेपीज़ आम तौर पर श्रेष्ठतर काम करती हैं।

अपने शिशु के स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से इस बारे में बात करें कि कौन सा उपचार आपके शिशु के लिए सही है।

दीर्घकालिक प्रभाव कौन से हैं?

ROP वाले कई शिशुओं को कोई स्थायी प्रभाव नहीं होते हैं। बीमारी जितनी अधिक गंभीर होगी, दृष्टि संबंधी स्थायी समस्याओं की उतनी ही उच्चतर संभावना होगी। मध्यम से गंभीर ROP वाले 100 में से 7 से लेकर 20 में से 3 बच्चों में दीर्घकालिक दृष्टि संबंधी समस्याएँ होती हैं। दुर्लभ मामलों में ROP अंधेपन में परिणत हो सकती है। 

अधिकांश शिशुओं को फॉलो-अप नेत्र परीक्षणों की आवश्यकता होगी। ROP वाले शिशु अन्य नेत्र विकारों के बढ़े हुए जोखिम पर होते हैं। इनमें निकट दृष्टिदोष (मायोपिया), भैंगापन (स्ट्रैबिस्मस) और दृष्टिवैषम्य (एस्टिग्मैटिज्म) शामिल हैं। हो सकता है कि आपके शिशु को चश्मे या अन्य उपचारों की आवश्यकता पड़े।

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